May 22, 2008

ग़मों के सैलाब

ग़मों के सैलाब हमें मिलने रोज़ आते हैं,
खुल के मिलते हैं ,हम मिल के बहल जाते हैं।
कोई पूछेगा पता मेरा तो बताना यारो,
हम तो मैखाने मैं अक्सर मिल जाते हैं।
कभी सोचा हैं आईने की ये तासीर है क्यों,
हर दफा अक्स अपने क्यों नज़र आते हैं।
तुझको भूले हुए ज़माना हो चला है मगर,
बहुत रोका इन्हें ये साँस अब भी आते हैं।
मेरी आंखों का है धोखा के दिल्लगी मेरी,
हर नए चेहरे में हमें वो ही नज़र आते हैं।

जी चाहता है

तेरा गम करने को जी चाहता है,

आँखें नम करने को जी चाहता है।

हर दफा भूल जो बारहा याद आए,

यादें दफ़न करने को जी चाहता है।

तू मेरे पास है कहीं गया ही नहीं,

ये भरम करने को जी चाहता है।

जो बंट चुकी है तमाम किश्तों में,

उम्र कम करने को जी चाहता है।

तेरा गम करने को जी चाहता है।

May 15, 2008

दुनिया

*****************************
हर शाम एक नया हुस्न सर उठाता है।
हर शाम एक हुस्न खो देती है।
किस लिए एक बेबस की लाज लुटती है,
जाने ये दुनिया कौन सा साज़ सुनती है।
धमाकों से ये दिल क्यों दहलता है,
बुतों के नाम पे इंसान क्यों जलता है।
कहीं लहू है कहीं सिसकियों की बरसातें,
याद आती हैं अमन ओ चैन की पुरानी बातें।
इस बेबस की फरियाद तो कोई सुन ले,
जो हुए फ़ना , उन मोतियों की याद तो कोई चुन ले।
कोई तो लाये वापिस राम राज यहाँ,
मस्जिदों में भी कभी तो हो पूजा पाठ यहाँ।
धुएँ मी सिमटा है आलम ,हैं ये कैसा आलम,
तर बतर है हर पत्ता, है ये कैसा मौसम ,
क्यों तुने ये बनाया मेरे खुदा मौसम।
हो जवाब तो लिखना मैं पढ़ लूंगा,
हो सका तो फिर दुनिया से भी लड़ लूंगा।

******************************

May 12, 2008

इश्क

फिर इश्क हुआ तो कुछ ऐसा हुआ,

फूलों ने खुशबू से आलम संवार दिया जैसे।

इकरार का ढंग तो ज़रा देखिये ,

अदा ने हर फन ख्वार किया जैसे।

इस कदर चाहत है एक होने की,

सुबह की धुंध ने पैर पसार लिया जैसे।

लिबास ऐ इश्क इस तरह पहना उसने,

उन हाथों ने मुद्दत से तैयार किया जैसे।

बावफा

जो रोज़ टूटता था , आज तोड़ दिया हमने ,
एक बे कसूर, बावफा को छोड़ दिया हमने।

सबक ज़िंदगी का तूने इस कदर पढाया,
सब सीख के रुख तुझी से मोड़ दिया हमने।

वो निकल पड़े थे ताउम्र साथ चलने को,
कुछ ही कदमों पे साथ उनका छोड़ दिया हमने।

तुझे यहीं है मेरी कारगुजारी पे,
तेरा यहीं हर मोड़ पे तोड़ दिया हमने।

किस कलम से हिसाब ऐ बेवफाई रखेंगे हम,
कुछ ऐसा बिगड़ा वक्त के हिसाब छोड़ दिया हमने।

वक्त बिताने का नया ढंग शुरू करते हैं ।
आज से हम ये मैखाना शुरू करते हैं।

तुम्हारी याद आए तो मैखाने की तरफ़ चल दिए , ना आए तो भी मैखाने की तरफ़ चल दिए , ज़िंदगी गुज़र जायेगी इसी तरह , ये सोच कर ...