May 25, 2008

तेरे इश्क में

हमतेरे इश्क मे इतने मजबूर हो गए,
साँस लेने को फ़िर मजबूर हो गए ।

बस में होता तो दूरियां मिटा देते,
बस दूरियों से ही तो मजबूर हो गए।

उन के इजहार का असर ज़रा देखिये,
हम इकरार करने पे मजबूर हो गए ।

जो खाब देखो तो इस शिद्दत से देखा,
खाब ज़िंदगी बनने पे मजबूर हो गए।

आज लिखते हैं तो कलम रुक सी जाती है,
मगर रुक रुक के लिखने पे मजबूर हो गए ।

हमतेरे इश्क मे इतने मजबूर हो गए,
साँस लेने को फ़िर मजबूर हो गए ।

तेरे इश्क में

बहुत अरसे से एक गुबार सा है उसके अंदर ,
एक खुशमिजाज इंसान बीमार सा है उसके अंदर।

किसी एक लम्हे की गलती थी , कि कुछ ऐसा हुआ,
जो कभी हँसता था , जार जार सा है उसके अंदर।

वक्त को कोसता है और वक्त की सोचता है,
न जाने अक्स क्यों लाचार सा है उसके अंदर।

लोग कहते हैं तेरे इश्क में ऐसा नही होता,
ये मानने का नहीं कोई आसार सा है उसके अंदर।

तुम्हारी याद आए तो मैखाने की तरफ़ चल दिए , ना आए तो भी मैखाने की तरफ़ चल दिए , ज़िंदगी गुज़र जायेगी इसी तरह , ये सोच कर ...