ग़मों के सैलाब हमें मिलने रोज़ आते हैं,
खुल के मिलते हैं ,हम मिल के बहल जाते हैं।
कोई पूछेगा पता मेरा तो बताना यारो,
हम तो मैखाने मैं अक्सर मिल जाते हैं।
कभी सोचा हैं आईने की ये तासीर है क्यों,
हर दफा अक्स अपने क्यों नज़र आते हैं।
तुझको भूले हुए ज़माना हो चला है मगर,
बहुत रोका इन्हें ये साँस अब भी आते हैं।
मेरी आंखों का है धोखा के दिल्लगी मेरी,
हर नए चेहरे में हमें वो ही नज़र आते हैं।
कुछ ऐसी बातें जो दिल को छू जाएं , कुछ ऐसी बातें जो दिल से निकले, कुछ ऐसी ही बातें इस ब्लॉग में ग़ज़ल , नज्म और कविता के ज़रिये पेश करने की कोशिश की है। उम्मीद है पढने वालों को पसंद आएंगी।
May 22, 2008
जी चाहता है
Subscribe to:
Posts (Atom)
तुम्हारी याद आए तो मैखाने की तरफ़ चल दिए , ना आए तो भी मैखाने की तरफ़ चल दिए , ज़िंदगी गुज़र जायेगी इसी तरह , ये सोच कर ...
-
बहुत अरसे से एक गुबार सा है उसके अंदर , एक खुशमिजाज इंसान बीमार सा है उसके अंदर। किसी एक लम्हे की गलती थी , कि कुछ ऐसा हुआ, जो कभी हँसता था ...
-
तेरा गम करने को जी चाहता है, आँखें नम करने को जी चाहता है। हर दफा भूल जो बारहा याद आए, यादें दफ़न करने को जी चाहता है। तू मेरे पास है कहीं ग...
-
हमतेरे इश्क मे इतने मजबूर हो गए, साँस लेने को फ़िर मजबूर हो गए । बस में होता तो दूरियां मिटा देते, बस दूरियों से ही तो मजबूर हो गए। उन के इज...