Maekhana-मैखाना
कुछ ऐसी बातें जो दिल को छू जाएं , कुछ ऐसी बातें जो दिल से निकले, कुछ ऐसी ही बातें इस ब्लॉग में ग़ज़ल , नज्म और कविता के ज़रिये पेश करने की कोशिश की है। उम्मीद है पढने वालों को पसंद आएंगी।
September 3, 2023
March 17, 2010
बे सब्र
सब्र का इम्तिहान चल रहा है कुछ इस तरह, के अब बेसब्र हो चले हैं।
पूरे हो रहें हैं अरमान कुछ इस तरह के अरमान कम हो चले हैं।
जी भर सा गया है इस ख़ुशी से, बहुत दिन देख ली हमने।
जैसे जैसे दिन गुज़र रहे हैं , हम खुशमिजाज़ कम हो चले हैं।
कुछ अपनों के गम थे , पहले क्या थोडा कम थे।
कुछ समझ में नहीं आ रहा , ये कैसे कैसे गम हो चले हैं।
इम्तिहान ज़िन्दगी लिया करती है हर मोड़ पे ।
पर ये क्या ज़िन्दगी, के हर मोड़ इम्तिहान हो चले हैं।
October 29, 2009
ज़ोर
जब वो साथ हो तो फासला करीब कितना है।
कुछ लड़कपन की बातें , कुछ थोडी सी संगीन,
बात निकले तो एहसास अजीब कितना है।
मोहब्बत जुबान पे , दिल में दर्द जब रहे,
असलियत का बनावट से फर्क कितना है।
April 7, 2009
जाने क्यूँ है.
इन कन्धों पे भार सा जाने क्यूँ है।
हम तो खुश हैं और इश्क भी है,
अजब सा ये इंतज़ार सा जाने क्यूँ है।
हमसफ़र हैं , वो दूर हों चाहे,
ये दिल बेकरार सा जाने क्यूँ है।
फिजा बदली है, जन्नत हो जैसे,
ये बदल नागुज़ार सा जाने क्यूँ है।
August 11, 2008
उसका जाना
उसको पता है उसके जाने का गम होगा , नहीं पता है ये के कैसे कम होगा।
उसकी नज़रों में वो दर्द देखा था उस दिन, जिसका असर जाने कब कम होगा।
July 7, 2008
वफ़ा की बात.
ये तुम्हारी ही खोदी ज़मी है जिसे भरने चला हूँ मैं।
इक ज़रा सी चोट देकर हंस दिए थे तुम कभी,
अब वही नासूर हैं ,जो मरहम करने चला हूँ मैं।
उम्र भर इन्तेज़ार की हद ढूँढ़ते रह गए हम तो,
जो ख़त्म हुआ तो पूछते हैं क्यूँ मरने चला हूँ मैं।
मेरी वफ़ा का ज़िक्र कभी किया था जिस किसी ने,
उसके ही बगल की कब्र में रहने चला हूँ मैं।
वफ़ा की बात देखिये दो फूल रख के चल दिए,
और पिछली दफा के सुखों को अब चुनने चला हूँ मैं।
July 2, 2008
जिंदगी
किसी बेसाख , बेदर्द , बेवफा सी है।
भरे सावन को पतझड़ बना दिया इसने,
आज जाने ये कैसी चली हवा सी है।
सुबह आज फिर दोपहर होने चली थी,
गरज गरज जाने कहाँ से आई ये घटा सी है।
जिसकी याद में गुज़रे थे बीते दिन अपने,
उसके आने की ख़बर फ़िर से जवां सी है।
कितनी मोहब्बत उन्हें हम से है,
उनकी खामोशी ने की दास्ताँ बयां सी है।
तुम्हारी याद आए तो मैखाने की तरफ़ चल दिए , ना आए तो भी मैखाने की तरफ़ चल दिए , ज़िंदगी गुज़र जायेगी इसी तरह , ये सोच कर ...
-
बहुत अरसे से एक गुबार सा है उसके अंदर , एक खुशमिजाज इंसान बीमार सा है उसके अंदर। किसी एक लम्हे की गलती थी , कि कुछ ऐसा हुआ, जो कभी हँसता था ...
-
तेरा गम करने को जी चाहता है, आँखें नम करने को जी चाहता है। हर दफा भूल जो बारहा याद आए, यादें दफ़न करने को जी चाहता है। तू मेरे पास है कहीं ग...
-
हमतेरे इश्क मे इतने मजबूर हो गए, साँस लेने को फ़िर मजबूर हो गए । बस में होता तो दूरियां मिटा देते, बस दूरियों से ही तो मजबूर हो गए। उन के इज...