फिर इश्क हुआ तो कुछ ऐसा हुआ,
फूलों ने खुशबू से आलम संवार दिया जैसे।
इकरार का ढंग तो ज़रा देखिये ,
अदा ने हर फन ख्वार किया जैसे।
इस कदर चाहत है एक होने की,
सुबह की धुंध ने पैर पसार लिया जैसे।
लिबास ऐ इश्क इस तरह पहना उसने,
उन हाथों ने मुद्दत से तैयार किया जैसे।