May 12, 2008

इश्क

फिर इश्क हुआ तो कुछ ऐसा हुआ,

फूलों ने खुशबू से आलम संवार दिया जैसे।

इकरार का ढंग तो ज़रा देखिये ,

अदा ने हर फन ख्वार किया जैसे।

इस कदर चाहत है एक होने की,

सुबह की धुंध ने पैर पसार लिया जैसे।

लिबास ऐ इश्क इस तरह पहना उसने,

उन हाथों ने मुद्दत से तैयार किया जैसे।

बावफा

जो रोज़ टूटता था , आज तोड़ दिया हमने ,
एक बे कसूर, बावफा को छोड़ दिया हमने।

सबक ज़िंदगी का तूने इस कदर पढाया,
सब सीख के रुख तुझी से मोड़ दिया हमने।

वो निकल पड़े थे ताउम्र साथ चलने को,
कुछ ही कदमों पे साथ उनका छोड़ दिया हमने।

तुझे यहीं है मेरी कारगुजारी पे,
तेरा यहीं हर मोड़ पे तोड़ दिया हमने।

किस कलम से हिसाब ऐ बेवफाई रखेंगे हम,
कुछ ऐसा बिगड़ा वक्त के हिसाब छोड़ दिया हमने।

वक्त बिताने का नया ढंग शुरू करते हैं ।
आज से हम ये मैखाना शुरू करते हैं।

तुम्हारी याद आए तो मैखाने की तरफ़ चल दिए , ना आए तो भी मैखाने की तरफ़ चल दिए , ज़िंदगी गुज़र जायेगी इसी तरह , ये सोच कर ...