May 12, 2008

इश्क

फिर इश्क हुआ तो कुछ ऐसा हुआ,

फूलों ने खुशबू से आलम संवार दिया जैसे।

इकरार का ढंग तो ज़रा देखिये ,

अदा ने हर फन ख्वार किया जैसे।

इस कदर चाहत है एक होने की,

सुबह की धुंध ने पैर पसार लिया जैसे।

लिबास ऐ इश्क इस तरह पहना उसने,

उन हाथों ने मुद्दत से तैयार किया जैसे।

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