जो रोज़ टूटता था , आज तोड़ दिया हमने ,
एक बे कसूर, बावफा को छोड़ दिया हमने।
सबक ज़िंदगी का तूने इस कदर पढाया,
सब सीख के रुख तुझी से मोड़ दिया हमने।
वो निकल पड़े थे ताउम्र साथ चलने को,
कुछ ही कदमों पे साथ उनका छोड़ दिया हमने।
तुझे यहीं है मेरी कारगुजारी पे,
तेरा यहीं हर मोड़ पे तोड़ दिया हमने।
किस कलम से हिसाब ऐ बेवफाई रखेंगे हम,
कुछ ऐसा बिगड़ा वक्त के हिसाब छोड़ दिया हमने।
कुछ ऐसी बातें जो दिल को छू जाएं , कुछ ऐसी बातें जो दिल से निकले, कुछ ऐसी ही बातें इस ब्लॉग में ग़ज़ल , नज्म और कविता के ज़रिये पेश करने की कोशिश की है। उम्मीद है पढने वालों को पसंद आएंगी।
May 12, 2008
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