*****************************
हर शाम एक नया हुस्न सर उठाता है।
हर शाम एक हुस्न खो देती है।
किस लिए एक बेबस की लाज लुटती है,
जाने ये दुनिया कौन सा साज़ सुनती है।
धमाकों से ये दिल क्यों दहलता है,
बुतों के नाम पे इंसान क्यों जलता है।
कहीं लहू है कहीं सिसकियों की बरसातें,
याद आती हैं अमन ओ चैन की पुरानी बातें।
इस बेबस की फरियाद तो कोई सुन ले,
जो हुए फ़ना , उन मोतियों की याद तो कोई चुन ले।
कोई तो लाये वापिस राम राज यहाँ,
मस्जिदों में भी कभी तो हो पूजा पाठ यहाँ।
धुएँ मी सिमटा है आलम ,हैं ये कैसा आलम,
तर बतर है हर पत्ता, है ये कैसा मौसम ,
क्यों तुने ये बनाया मेरे खुदा मौसम।
हो जवाब तो लिखना मैं पढ़ लूंगा,
हो सका तो फिर दुनिया से भी लड़ लूंगा।
******************************
कुछ ऐसी बातें जो दिल को छू जाएं , कुछ ऐसी बातें जो दिल से निकले, कुछ ऐसी ही बातें इस ब्लॉग में ग़ज़ल , नज्म और कविता के ज़रिये पेश करने की कोशिश की है। उम्मीद है पढने वालों को पसंद आएंगी।
May 15, 2008
Subscribe to:
Posts (Atom)
तुम्हारी याद आए तो मैखाने की तरफ़ चल दिए , ना आए तो भी मैखाने की तरफ़ चल दिए , ज़िंदगी गुज़र जायेगी इसी तरह , ये सोच कर ...
-
एक दूसरे को जानने की ज़रूरत नहीं समझी, एक हुए ऐसे , साथ रहने की ज़रूरत नहीं समझी। लगता था मोहब्बत के सैलाब में बह के आए हैं, उनहोंने किनारा तक...
-
दरवाज़े की तख्ती पे मेरा नाम भी हो, और ओहदा "मालिक मकान " भी हो। कुछ एक लाख की बात है मिल ही जायेंगे, इसी आस कफ़न किसी दिन सिल ही जा...
-
***************************** हर शाम एक नया हुस्न सर उठाता है। हर शाम एक हुस्न खो देती है। किस लिए एक बेबस की लाज लुटती है, जाने ये दुनिया क...