ये नया एहसास सा जाने क्यूँ है,
इन कन्धों पे भार सा जाने क्यूँ है।
हम तो खुश हैं और इश्क भी है,
अजब सा ये इंतज़ार सा जाने क्यूँ है।
हमसफ़र हैं , वो दूर हों चाहे,
ये दिल बेकरार सा जाने क्यूँ है।
फिजा बदली है, जन्नत हो जैसे,
ये बदल नागुज़ार सा जाने क्यूँ है।
कुछ ऐसी बातें जो दिल को छू जाएं , कुछ ऐसी बातें जो दिल से निकले, कुछ ऐसी ही बातें इस ब्लॉग में ग़ज़ल , नज्म और कविता के ज़रिये पेश करने की कोशिश की है। उम्मीद है पढने वालों को पसंद आएंगी।
Subscribe to:
Comments (Atom)
तुम्हारी याद आए तो मैखाने की तरफ़ चल दिए , ना आए तो भी मैखाने की तरफ़ चल दिए , ज़िंदगी गुज़र जायेगी इसी तरह , ये सोच कर ...
-
सब्र का इम्तिहान चल रहा है कुछ इस तरह, के अब बेसब्र हो चले हैं। पूरे हो रहें हैं अरमान कुछ इस तरह के अरमान कम हो चले हैं। जी भर सा गया है इस...
-
जिंदगी मुझ से इन दिनों ज़रा खफा सी है। किसी बेसाख , बेदर्द , बेवफा सी है। भरे सावन को पतझड़ बना दिया इसने, आज जाने ये कैसी चली हवा सी है। सु...
-
उसको पता है उसके जाने का गम होगा , नहीं पता है ये के कैसे कम होगा। उसकी नज़रों में वो दर्द देखा था उस दिन, जिसका असर जाने कब कम होगा।