April 7, 2009

जाने क्यूँ है.

ये नया एहसास सा जाने क्यूँ है,
इन कन्धों पे भार सा जाने क्यूँ है।

हम तो खुश हैं और इश्क भी है,
अजब सा ये इंतज़ार सा जाने क्यूँ है।

हमसफ़र हैं , वो दूर हों चाहे,
ये दिल बेकरार सा जाने क्यूँ है।

फिजा बदली है, जन्नत हो जैसे,
ये बदल नागुज़ार सा जाने क्यूँ है।

तुम्हारी याद आए तो मैखाने की तरफ़ चल दिए , ना आए तो भी मैखाने की तरफ़ चल दिए , ज़िंदगी गुज़र जायेगी इसी तरह , ये सोच कर ...