हमतेरे इश्क मे इतने मजबूर हो गए,
साँस लेने को फ़िर मजबूर हो गए ।
बस में होता तो दूरियां मिटा देते,
बस दूरियों से ही तो मजबूर हो गए।
उन के इजहार का असर ज़रा देखिये,
हम इकरार करने पे मजबूर हो गए ।
जो खाब देखो तो इस शिद्दत से देखा,
खाब ज़िंदगी बनने पे मजबूर हो गए।
आज लिखते हैं तो कलम रुक सी जाती है,
मगर रुक रुक के लिखने पे मजबूर हो गए ।
हमतेरे इश्क मे इतने मजबूर हो गए,
साँस लेने को फ़िर मजबूर हो गए ।
कुछ ऐसी बातें जो दिल को छू जाएं , कुछ ऐसी बातें जो दिल से निकले, कुछ ऐसी ही बातें इस ब्लॉग में ग़ज़ल , नज्म और कविता के ज़रिये पेश करने की कोशिश की है। उम्मीद है पढने वालों को पसंद आएंगी।
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