July 2, 2008

सुकून

सुकून ऐ जिंदगी ढूँढते रह जायेंगें ।
तेरे बिना जिए तो मर के रह जायेंगे ।

जब जुबाँ ऐ शायर कोई बात कहने जाए ,
हर एक अल्फाज़ के मायने ढूँढते रह जायेंगे।

एक बार सुबह जवान होने की कोशिश तो करे,
बादल यूँ ही आसमां में घुमते रह जायेंगे।

जब आखरी साँस कोई शख्स लेता है,
करीब वाले सब देखते रह जायेंगे।

1 comment:

Rishabh Makrand said...

dard jo bharoge tum aapni shayari me itni shiddat se...
sun ne wale irshaad bhi na kah payenge... :)

तुम्हारी याद आए तो मैखाने की तरफ़ चल दिए , ना आए तो भी मैखाने की तरफ़ चल दिए , ज़िंदगी गुज़र जायेगी इसी तरह , ये सोच कर ...